The Womb
Home » Blog » Featured » एक आम भारतीय महिला की व्यथा
Featured Poems

एक आम भारतीय महिला की व्यथा

मनीषा अग्रवाल

जब -जब तुम कहते हो,
तुम कर ही क्या सकती हो
औरत हो बस
घर में ही रह सकती हो।

तब- तब ही मुझे,
और संबल मिलता है,
कुछ कर जाने के लिए
और आगे बढ़ जाने के लिए।

धन्यवाद है तुम्हें
जो तुम ने मुझे रोका टोका
और मुझ में गलती ढूंढी हजार
तभी तो मेरे मन का यह
गुबार फूटा
और चल पड़ी करने
अपने सपने साकार।

अब चाहे मिले तुम्हारा
साथ चाहे ना मिले,
कुछ कर जाना है
दुनिया में आए हैं तो
इससे भी तो वफा निभाना है।

मेरे नाम के पीछे
तुम्हारा नाम जरूर लगता है,
पर मेरे नाम का भी है
अपना कोई वजूद
ये अब सब को दिख लाना है

Related posts

Breaking – Farrukhabad Horror : Family Claims Rape & Murder While State Suggests Suicide

Editor

Tribulation Of Innocent Hands

Guest Author

In Conversation with Ms. Prachi Mehta, Founder TAG – The ADR Group

Avani Bansal