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Poems

क्या अब भी मानव बदलेगा?

Guest Author
कभी सिसकती बालाओं की,  सुध लेती थी जनता सारी, आज चहकती अबलाओं की,  चिता सजाने की तैयारी।। कब तक ऐसी दशा रहेगी?  कब तक तांडव...